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प्राचीन भारत का इतिहास भारतीय सभ्यता, संस्कृति और प्रशासनिक विकास की जड़ों को समझने का प्रमुख माध्यम है। यह विषय UPSC, राज्य लोक सेवा आयोग, SSC तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस लेख में हम प्राचीन भारत के इतिहास का कालानुक्रमिक अध्ययन प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे छात्रों को विषय को सरल और क्रमबद्ध रूप में समझने में सहायता मिले।
सिंधु घाटी सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन और विकसित नगरीय सभ्यताओं में से एक थी। इसका विस्तार वर्तमान पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैला हुआ था। हड़प्पा, मोहनजो-दड़ो, धोलावीरा और लोथल इसके प्रमुख स्थल थे।
इस सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं में उन्नत नगर योजना, पक्की ईंटों का प्रयोग, सुनियोजित जल निकासी व्यवस्था तथा व्यापारिक गतिविधियाँ शामिल थीं। यहां के लोग कांस्य युगीन थे और कृषि, पशुपालन व व्यापार पर निर्भर थे।
वैदिक काल को प्रारंभिक वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल में विभाजित किया जाता है। प्रारंभिक वैदिक समाज मुख्यतः पशुपालक था, जबकि उत्तर वैदिक काल में कृषि का विकास हुआ।
इस काल में वर्ण व्यवस्था (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) का उदय हुआ। धार्मिक जीवन में यज्ञों का प्रमुख स्थान था। उत्तर वैदिक काल में उपनिषदों के माध्यम से दार्शनिक चिंतन का विकास हुआ।
जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी थे। उन्होंने त्रिरत्न – सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण का प्रतिपादन किया। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धांत था।
गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित बौद्ध धर्म चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग पर आधारित था। बौद्ध धर्म ने सरल और व्यावहारिक जीवन पद्धति पर जोर दिया। विभिन्न बौद्ध संगीति परिषदों ने इसके प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ईसा पूर्व छठी शताब्दी में सोलह महाजनपदों का उदय हुआ। इनमें मगध सबसे शक्तिशाली राज्य बनकर उभरा। हर्यंक, शिशुनाग और नंद वंश ने मगध के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ईरानी शासकों और सिकंदर के आक्रमणों ने भारतीय इतिहास को प्रभावित किया। सिकंदर के आक्रमण से भारत और यूनानी सभ्यता के बीच सांस्कृतिक संपर्क बढ़ा।
मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की। कौटिल्य के अर्थशास्त्र और मेगास्थनीज की इंडिका मौर्य प्रशासन के प्रमुख स्रोत हैं।
अशोक मौर्य साम्राज्य का महान शासक था। कलिंग युद्ध के बाद उसने धम्म की नीति अपनाई। अशोक के शिलालेख, स्तंभ और स्तूप भारतीय कला और स्थापत्य के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद शुंग, कण्व, सातवाहन, इंडो-ग्रीक, शक और कुषाण जैसे अनेक राजवंशों का उदय हुआ। इस काल में व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियों का विस्तार हुआ।
गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है। समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय इस साम्राज्य के महान शासक थे। इस काल में कला, साहित्य, विज्ञान और प्रशासन का अभूतपूर्व विकास हुआ।
नोट: इस पूरे अध्याय के हैंडरिटन PDF नोट्स आप Noteslover.com पर डाउनलोड कर सकते हैं। यह सामग्री UPSC, PSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
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